कवि सम्मेलन
कवि सम्मेलन “गुरु सम्मान उत्सव” का आयोजन
हिंदी प्रकोष्ठ, भा.प्रौ.सं. रोपड़ ने 05 सितंबर शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में संस्थान में सुप्रसिद्ध कविगणों की
प्रस्तुति के सानिध्य में गुरु सम्मान उत्सव शीर्षक से कवि सम्मेलन का आयोजन संपन्न किया। इतने भव्य स्तर पर कवि
सम्मेलन का आयोजन करना यह हिंदी प्रकोष्ठ के लिए प्रथम अवसर था।
इस कवि सम्मेलन में कविरत्नों के रुप में, कवयित्री मुमताज नसीम, श्री हेमंत पाण्डेय, श्री स्वयं श्रीवास्तव तथा
श्री अमन अक्षर विशेष रुप से आमंत्रित थे।

कवि सम्मेलन की शुरुवात भा.प्रौ.सं. रोपड़ के निदेशक प्रोफेसर राजीव आहूजा महोदय द्वारा सभी आमंत्रित कवियों का
पुष्पगुच्छ एवं स्मृतिचिन्ह्र से स्वागत कर हुई। इस अवसर पर माननीय निदेशक महोदय प्रोफेसर आहूजा जी ने इस प्रकार
के साहित्यिक सम्मेलनों एवं कार्यक्रमों की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए यह विचार साझा किया कि इस प्रकार के
कार्यक्रम केवल मनोरंजन का ही नहीं अपितु भाषायी संवर्धन का भी सशक्त माध्यम के रुप में कार्य करते है। प्रोफेसर
आहूजा ने सभी को आश्वस्त भी किया कि संस्थान हिंदी प्रकोष्ठ के माध्यम से समय-समय पर इस प्रकार के आयोजन करता
रहेगा।

प्रोफेसर राजीव आहूजा महोदय के औपचारिक संभाषण के उपरांत कवि श्री हेमंत पाण्डेय जी ने मंच की बागडोर संभाली।
अपनी हिंदी की धाराप्रवाह शैली से श्री हेमंत पाण्डेय जी ने पूरे सभागार को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि सम्मेलन की
विधिवत शुरुवात कवयित्री मुमताज नसीम जी द्वारा सरस्वति वंदना से हुई।
कवि सम्मेलन के प्रथम कवि के रुप में श्री स्वयं श्रीवास्तव जी ने अपने काव्य पाठ से सभी का मन मोह लिया।
“पत्थर की चमक है न नगिने की चमक है
चेहरे पे सीना तान के जीने की चमक है
पुरखों से विरासत में हमें कुछ नहीं मिला
जो दिख रही है खुन पसीने की चमक है”
(कवि श्री स्वयं श्रीवास्तव)

इसके पश्चात कवि श्री अमन अक्षर जी ने अपनी बहुचर्चित कविता का पाठ किया जो कि श्री राम के जीवन पर केंद्रित
हैः-
“के सारा जग है प्रेरणा
जग है सारा प्रेरणा
प्रभाव सिर्फ राम है
भावसूचियों बहोत है, भाव सिर्फ राम है”
श्री अमन अक्षर जी के काव्य पाठ से पूरा वातावरण राममय हो गया था।

इसके पश्चात कवयित्री मुमताज नसीम जी ने अपने चर्चित कविता का पाठ कियाः-
“पागलपन में क्या बतलाऊं
सजन क्या क्या भूल गई
सजन क्या क्या भूल गई
